सावन का महीना प्रेम और उत्साह का महीना माना जाता है।इस महीने में नई-नवेली दुल्हन अपने मायके जा कर झूला झूलती हैं और सखियों से अपने पिया और उनके प्रेम की बातें करती है । प्रेम के धागे को मजबूत करने के लिए इस महीने में कई त्योहार मनाये जाते हैं । इन्हीं में से एक त्योहार है- 'हरियाली तीज ' । यह त्योहार हर साल श्रावण माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है । इस त्योहार के विषय में मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की थी ।
इससे प्रसन्न होकर शिव ने 'हरियाली तीज' के दिन ही पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था । इस त्योहार के विषय में यह मान्यता भी है कि इससे सुहाग की उम्र लंबी होती है ।
कुंवारी कन्याओं को इस व्रत से मनचाहा जीवन साथी मिलता है । हरियाली तीज मेंहरी चूड़ियां, हरा वस्त्र और मेंहदी का विशेष महत्व है । मेंहदी सुहाग का प्रतीक चिन्ह माना जाता है । इसलिए महिलाएं सुहागपर्व में मेंहदी जरूर लगाती हैं । इसकी शीतलता सीर प्रेम और उमंग को संतुलन प्रदान करने का भी काम करती है । माना जाता है कि मेंहदी बुरी भावना को नियंत्रित करती है ।
हरियाली तीज का नियम है कि क्रोध को मन में नहीं आने दें । मेंहदी का औषधीय गुण इसमें महिलाओं की मदद करता है । सावन में पड़ने वाली फुहारों से प्रकृति में हरियाली छा जाती है ।सुहागन स्त्रियां प्रकृति की इसी हरियाली को अपने ऊपर समेट लेती हैं।इस मौके पर नई-नवेली दुल्हन को सास उपहार भेजकर आशीर्वाद देती है । कुल मिला कर इस त्योहार का आशय यह है कि सावन की फुहारों की तरह सुहागनें प्रेम की फुहारों से अपने परिवार को खुशहाली प्रदान करेंगी और वंश को आगे बढ़ाएँगी।